अपने शातिर साले मुकेश को घर में रखने के कारण बेकसूर नरेश को पन्द्रह दिन हवालात की हवा खानी पड़ी थी आज उन्हें पुलिस ने छोड़ा था इसमें उनके खून पसीना बहाकर जोड़े गए दो लाख रुपये खर्च हो गए उनका साला मुकेश कौनसा जुर्म करके आया है उन्हें पता नहीं था वो पूरे दो महीने उनके पास रहा था और दो महीने बाद अचानक चला गया था। उसके जाने के बाद उसके घर एक दिन पुलिस आई और मुजरिम को शरण देने तथा फरार कराने के आरोप में उसे पकड़कर ले गई थी।
नरेश अपने पड़ोसी रितेश को सारी बात बताते हुए कह रहे थे । दिन में तो पुलिस ने उन्हें लॉक अप में बंद कर दिया था पर रात होते ही उनसे सख्ती से पूछताछ हुई पुलिस के सवालों का उनके पास कोई जवाब नहीं था। कोई वास्तव में वे इससे अनजान थे उनकी छोटी सी चाय की दुकान थी वे एक सीधे सादे नेक इंसान थे। सुबह दुकान पर चले जाते थे और शाम को घर आते थे साला जब आया था तब वे घर पर नहीं थे । उनकी पत्नी विमला ने बताया कि ऐसे ही मिलने जुलने आया है कुछ दिन रुकेगा फिर चला जाएगा लेकिन वो पूरे दो महीने रुका रहा नरेश ने तब भी इस पर ध्यान नहीं दिया था जब वो अचानक चला गया तो पत्नी विमला ने यही कहा कि उसकी प्राइवेट कंपनी में नौकरी लग गई है। नरेश कुछ नहीं बोले जब पुलिस उन्हें उठाकर ले गई तथा जब पुलिस ने कड़ी पूछताछ की तब पता चला उस पर एक लड़की के साथ दुष्कर्म का आरोप है शादी का झाँसा देकर गर्भवती करने एवं फिर धोखे से गर्भपात कराकर उसको बुरी हालत में छोड़कर आने का भी आरोप है मुकेश ऐसा संगीन जुर्म कर अपनी बहन के यहाँ आ गया था नरेश की पत्नी को यह सब मालूम था पर उसने नरेश से ये बातें छिपा ली थीं । अगर वो नरेश को यह सब बताती तो वो मुकेश को अपने घर में बिल्कुल नहीं रखता मुकेश को पहले ही पता चल गया था कि पुलिस को उसके यहाँ होने की खबर लग चुकी है विमला भी यह बात जानती थी विमला ने ही उसे वहाँ से भागने में मदद की थी तथा पैसे दिए थे। पुलिस को पूछताछ में यह पता चल गया था कि नरेश बेगुनाह है । फिर भी पुलिस उसे नहीं छोड़ रही थी पुलिस कहने था जब तक आरोपी नहीं पकड़ा जाएगा तब तक वो उसे नहीं छोड़ने वाली। विमला को पता था कि मुकेश कहाँ पर है वो बता नहीं रही थी। अपने बेगुनाह पति पर भी उसे तरस नहीं आ रहा था बल्कि अपने भाई को पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ने देने की वो हर संभव कोशिश कर रही थी। पर पुलिस तो पुलिस थी। वो मुकेश को गिरफ्तार करने में सफल हो गई थी मुकेश के गिरफ्त आने के साथ ही पुलिस ने नरेश को छोड़ दिया था पर नरेश को दो लाख की चपत बैठे ठाले लग गई थी मानसिक प्रताड़ना मिली वो अलग नरेश जब घर आए तो विमला के चेहरे पर उनके आने की कोई खुशी नहीं थी दुख था तो इसी बात का कि उसका भाई पुलिस के हत्थे चढ़ गया था इसी दुख में उसका रो रोकर बुरा हाल था। पन्द्रह दिनों में नरेश का धंधा पूरी तरह चौपट हो गया था। पर उसे ज्यादा चिंता इसलिए नहीं थी कि उसने प्लॉट खरीदने के लिए आठ लाख रुपये जोड़कर रखे थे। उसने उन्हीं पैसों में से विमला से पैसे माँगे तो वो नरेश पर झल्ला पड़ी बोली इधर मेरा भाई मुसीबत में है और तुम्हें पैसे की पड़ी है नहीं है मेरे पास पैसे सब खर्च हो गए। यह सुनकर तो नरेश के पैरों के नीचे से धरती खिसक गई आठ लाख रुपये कैसे खर्च हो गए कहाँ खर्च हो गए उनके सामने यह बड़ा सवाल था और विमला गोल मोल जवाब दे रही थी पर नरेश के बार बार पूछने पर उसने बताया कि दो लाख रुपये तो तुमको पुलिस चँगूल से छुड़ाने में खर्च हो गया और पाँच लाख रुपये भईया का मामला रफादफा कराने में खर्च हो गए एक लाख रुपये जब वो यहाँ से फरार हुए तब मैंने उसे दिए थे वो अलग से नरेश बोले वो कहां से दिए तो विमला ने कहा कि तीन लाख रुपये की एफ डी तुड़वा दी। नरेश समझ गए थे कि साले ने उन्हें पूरी तरह कंगाल कर दिया है और विमला को इसका बिल्कुल अफसोस नहीं है वो दुख के सागर में डूब गया था तभी विमला ने उसके जख्मों पर नमक छिड़कते हुए कहा कि मुझे पन्द्रह लाख रुपये की जरूरत है कहीं से व्यवस्था कर के दो लड़की केस रफादफा करने के लिए राजीनामे के लिए पन्द्रह लाख रुपये माँग रही है मेरे भैया की जिंदगी का सवाल है पैसा तो हाथ का मैल है वो हम फिर कमा लेंगे। नरेश अत्यंत दुखी और बेबसी से बोला पन्द्रह लाख रुपये का ब्याज जानती है हर माह कितना होता है साहूकार से लो तो पाँच परसेन्ट प्रतिमाह से पिचहत्तर हजार रुपये महीने और अगर किसी महीने ब्याज अदा न करो तो वो अगले महीने मूलधन में जुड़ जाएगा इधर मेरा धंधा पूरी तरह चौपट हो गया उसे शुरु करने के लिए भी मुझे पैसों की जरूरत पड़ेगी वो कहाँ से लाऊँ मुझे इस बात की चिंता है ऊपर से तुम पन्द्रह लाख रुपये माँग रही हो अगर मेरा धंधा चल भी निकला तो महीने की तीस हजार रुपये से ज्यादा की कमाई नही होगी जिसमें बीस हजार रुपये तो घर का खर्च ही है। ब्याज के पैसे कहाँ से लाएँगे इस पर विमला नरेश से लड़ पड़ी कहने लगी मेरी तो किस्मत फूटी थी जो तुम जैसे टुचपुँजिया से मेरी शादी हुई नरेश ने झगड़ा बढ़ाना उचित नहीं समझा उसने तय कर लिया था चाहे कुछ भी हो जाए वो कर्ज किसी भी हालत में नहीं लेगा न ही आत्महत्या करेगा भले ही विमला उसे हमेशा के लिए छोड़ के चली जाए। ।
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रचनाकार
प्रदीप कश्यप